Mothers Day Special | TheDevSir

बिलख बिलख के मैं रो रहा था
घबराहट से चीख मेरी निकल आयी थी
मुझे रोता देख वो मुस्कुराई थी
मेरी माँ जब मुझे धरती पर लायी थी

मेरे पिता की आंखों में देख
वो मंद मंद मुस्काई थी
हाँ यह वही दिन था यारो
जब माँ मुझे धरती पर लायी थी

मेरी हर ज़रूरत को समझ कर
उसने बिना कहे पूरी करवाई थी
जब कुछ भी ना कह पाता था मैं
तब मेरी हर बात दुनिया तक पहुचाई थी

मेरी भूख प्यास उसने भांपकर
मेरी सहूलियत उसने बढ़ाई थी
घुटनो पे जब चलने लगा में
मेरी अद्रश्य लाठी वो बन पाई थी

उठा अपने पैरों पर एक दिन
चलने में उसने मेरी मदद कराई थी
बोलने लायक बनाया उसने मुझे
मेरी हर गलती यूँही छुपाई थी

बेखौफ लड़ गया मैं उससे
बचपन में मैंने यह गलती दौराई थी
उसने प्यार से जीत लिया मुझे
मेरी माँ ने मुझे कुछ बातें सिखाई थी

स्कूल जाने लायक जब हुआ में
मेरे मन मे घबराहट सी छायी थी
समझाया उसने की ज़रूरत है यह तेरी
उसकी बातों ने मुझे स्कूल दिखाई थी

छोटे छोटे झगड़ो में मेरे
उसने खूब हिम्मत दिखाई थी
गलत नही है मेरे लाल कहीं तू
यह बात मुझे बतलायी थी

हर साल जन्मदिन पर मेरे
उसने कई दुआएं ज्यादा बरसाई थी
लगे न नज़र मुझे किसी की
हर वक़्त बनी मेरी वो परछाई थी

बड़ा हुआ मै जब थोड़ा
पांचवी तक हुई मेरी पढ़ाई थी
पेंसिल छोड़ पेन पकड़ाया हाथ मे
मेरी माँ कुछ बदली सी नज़र आयीं थी

चार साल और बीत गए सफर के
दोस्तो की जीवन मे भरमार उतर आयी थी
इसी बीच फिसले जो बवंडर में
प्यार की नदी से अक्ल मेरी नहाई थी

समझाया माँ ने तब भी मुझे
रिश्तेदारों की नाक रखना बताई थी
उखड़ी उखड़ी थी तब माँ मेरी
डांटना उसका शायद मेरी भलाई थी

पढ़ाई से उठने लगा जब मन मेरा
उसने धार्मिक बुद्धि मेरी जगाई थी
नादान था अब तक दुनिया के रिवाज़ों से
उसने मेरी इन्द्रियाँ वापस जगाई थी

घर के हालात जब कठोर हो चले
उसने अपनी नौकरी यूँही गवाई थी
पूजते थे हम कईं देवियो को अब तक
उनमे से एक आज मुझे नज़र आई थी

घर की तकलीफों में भी दृढ़ रहकर
हर मुश्किल में वो पिता की समझाइश थी
देखा है वो रूप मैन भी मां का
जिसमे ममता के साथ अर्धांगनी समायी थी

कठोर चेहरे के पीछे थी जो छिपी
वो करुणा भाव की गहराई थी
जब भी देखु आंख बंद शुभचिंतक को
मेरी माँ ही मुझे नज़र आई थी

खत्म हुआ स्कूल अब मेरा
जवानी ने ली अंगड़ाई थी
भूत सवार था दुनिया देखने का
फैसले सारे भाई की कलाई थी

छोड़ा घर, निकले बाहर जब
तब दुनिया हसीन नज़र आयी थी
ज़्यादा समय न लगा यह समझते
की मां बिना जीवन सुनी खाई थी

उलझते गए बवंडर में जीवन के
एक रोशनी फिर मुझे नज़र आई थी
जब कुछ ना सूझ रहा था मुझे
तब फिर सिर्फ माँ ही नज़र आई थी

समझदारी अब परवान चढ़ चूकि थी
अक्ल बहुत सीख के ठीकाने आयी थी
जीवन के आदर्श जीवन की बातें
सब माँ से ही मुझे समझ आयी थी

आज कमा रहा हु पेट भरने को
कभी उसने मेरी भूख मिटाई थी
जब मिली थी पहली सैलरी मुझे
तब भी माँ बहुत याद आयी थी

जीवन के इस कठोर संघर्ष में
सिर्फ उसकी परवरिश ही काम आयी थी
आज भी याद है मुझे वो 20 साल पुरानी बातें
जो उसने मेरे ज़हन में बसाई थी

कई साल बीत गए गयी यादें बन गयी
मेरी माँ ने एक अनोखी याद बसाई थी
बस एक वही दिन था ए देव जब मेरे रोने पे वो मुस्कुराई थी
हाँ.... हाँ मेरी माँ मुझे इस धरती पर लायी थी।


















Nothing much, Nothing less, Few Words and Lot of Feelings.
We don't Express usually, But our love for you is Immortal.
I love you Mummy..!!

#TheDev

Comments

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    1. Glad to see such beautiful response :)

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    1. Thank you Ina :) Motherly Love always make things beautiful :)

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  3. This is the beauty of poetry, the way you said n expressed everything in few lines is commendable😍

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    1. Thank you Ankit :) Your valuable comment Matters a lot :)

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  4. This is the beauty of poetry, the way you said n expressed everything in few lines is commendable😍

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  5. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 20 मई 2017 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
    

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद....!! आभार ..!!

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  6. सुन्दर अभिव्यक्ति ,आभार।

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