Kab tak | TheDevSir

किसी से दूर होना कई बार मजबूरी होती है, और यह मजबूरी का फायदा कभी ना कभी ज़रूर मिलता है।जीवन के हर पहलू को जितना सरल कर के जीना सीख लोगे,आने वाले पल उतने ही हसीन होते जाते है ।


यूँ तो छोड़ आया मैं तुम्हे
काफी हद तक आगे निकल आया हूँ
पर यह ग़लतफ़हमी मेरी
जाने ज़िंदा रहेगी कब तक

तेरी ख्वाहिशों से परे हुँ अब
तेरे अक्स से काफी दूर हो चुका हूं
यह खुद्दारी की बहती हवा मेरी
जाने ज़िंदा रहेगी कब तक

अश्को का न कभी सहारा लिया
ज़माने से न कभी किनारा किया मैंने
यह झूठे सपने झूठी नींद मेरी
जाने ज़िंदा रहेगी कब तक

आघोष में जिस परवरदिगार के हुँ
जिससे तुझे भूल जाने की ताकत थी मांगी
यह हल्की मुरझाई सी कोशिश मेरी
जाने ज़िंदा रहेगी कब तक

मैं शब्दो के तीर जो छोड़ आया था
तुझे तीखे जो लगे थे दिल की नोक पर
यह मुगालते जो जी रही है मेरी
जाने ज़िंदा रहेगी कब तक

भंवर में ए साथी अकेला कर दिया था तुझे
तु मुझे भूल जाये,खत्म हो तेरे पन्नो पे ज़िक्र मेरा
यह एक अनकही रुकी हुई कहानी मेरी
जाने ज़िंदा रहेगी कब तक

नफरत के जो बोये थे बीज ए देव
क्या उनमे से कोपल फुट रही है आज
शायद भूलने उठे हो तुम आज दास्तान मेरी
क्योंकि यह कहानी चलती रहेगी, तू न भूलेगा मुझे जब तक।

















 Credit Image : CDN Images
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अगर आपको मेरे शब्दों में थोड़ा भी अपनापन लगा हो, या आप आगे भी इसी तरह मुझसे जुड़े रहना चाहो तो नीचे दी गई लिंक्स पर आप मुझसे संपर्क अवश्य करे। आपके सभी विचारो का खुले मन से स्वागत है।


आपका
देव

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Comments

  1. Heart Touching Lines Dev.. Great 👍👍

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  2. Ati sundar Dev. Keep sharing! 😊

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    1. Thank you Sir, your words motivates to write more..!! :)

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