Tum Mehfooz to ho | TheDevSir
ज़हन में उठता सिर्फ एक सवाल, उस सवाल से बने कई ख्याल
कहती है यह हवा कुछ
कहती है यह हवा कुछ
कुछ तो यह बताना चाहती है
तुम महफूज़ तो हो?
मैं रंजिशों से घिरा हूँ यहां
उलझ गया हूँ अनचाही ख्वाहिशो में
मैं खो गया हूं , यहां कही भीड़ है बहुत
धुंध सी जमी है गहरी, उजालो के अंधेरो में
जो भी है ये धुंध भी कुछ कहना चाह रही है
बेमतलब ही मेरे मुँह लग रही है
तुम महफूज़ तो हो?
दफ्तरों की दीवारों में भी आज कल
एक अकेलापन सा लगता है मुझे
चाहे कितना ही खुश दिखे चेहरा
अंदर से जाने क्यों मेरा मन जूझे
दिल की सुराख से आवाज़ आ रही है कुछ
कहने के लिए तो आज आसमान भी गया झुक
तुम महफूज़ तो हो?
कर्कश निगाहों के बीच दिन काट रहा हूँ
तेरा हुँ, तेरी ही राह तक रहा हूँ
भाग तो नही रहा मैं ज़िम्मेदारियों से अपनी
पर शायद, शायद कही, मैं सब से छिप रहा हूँ
यह तड़प आज तुम दूर कर दो, मुझसे बात करो
यकीन दिला दो इस दिल को, इस दिमाग को
की तुम महफूज़ तो हो...!
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आपका
देव
देव
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ReplyDeleteकाश ! कि पूछ लेता मुझसे कोई की तुम महफूज़ तो हो?
ReplyDeleteDil ko chuu gyi sir.
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